कांग्रेस के प्रयासों से पुनः हुई संविधान और सामाजिक न्याय की जीत – गरिमा मेहरा दसौनी

कांग्रेस के प्रयासों से पुनः हुई संविधान और सामाजिक न्याय की जीत – गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून।

जातिगत जनगणना कराई जाने के केंद्रीय कैबिनेट के फैसले को उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने संविधान कांग्रेस इंडिया गठबंधन और खास तौर पर राहुल गांधी की जीत के रूप में बताया।
गरिमा ने कहा कि केंद्र में सरकार भले ही भाजपा गठबंधन की चल रही हो लेकिन उसकी दिशा दिखाने का काम कांग्रेस और राहुल गांधी कर रहे हैं।
गरिमा ने कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई में जातिगत जनगणना एक अहम हिस्सा है। कांग्रेस पार्टी के हमारे अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता विपक्ष राहुल गांधी हमेशा से सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत हैं।
दसौनी ने कहा कि हमने हमेशा कहा है कि मोदी सरकार को जातिगत जनगणना करानी ही होगी,क्योंकि ये लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करता है।
गरिमा ने कहा कि कांग्रेस के लगातार दबाव के बाद ही आज केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का फैसला लिया है, हालांकि यह निर्णय लेने में उसने बहुत देर कर दी।
गरिमा ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द जातिगत जनगणना कराए, ताकि उस डाटा के आधार पर गांधी जी के विचारों के अनुसार – ‘समाज के आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक लाभ पहुंचाया जा सके।’
दसौनी ने कहा कि कांग्रेस की वैचारिक बुनियाद ‘सामाजिक न्याय’ है। हमारा मानना है कि देश और समाज शोषितों, वंचितों और पिछड़ों को पीछे छोड़कर आगे नहीं बढ़ सकता। यही संविधान में दिए आरक्षण का आधार भी है। इतिहास गवाह है कि साल 1951 में जब सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को खारिज किया था, तो कांग्रेस की पंडित जवाहर लाल नेहरु के नेतृत्व वाली सरकार ने पहला संविधान संशोधन किया और मौलिक अधिकारों में अनुच्छेद 15 (4) को जोड़कर आरक्षण का रास्ता सदा के लिए प्रशस्त कर दिया। देश में पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण भी मंडल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र की कांग्रेस सरकार ने सितंबर, 1993 में दिया। इसके अलावा, कांग्रेस की केंद्र सरकार ने 20 जनवरी, 2006 से संविधान में 93वाँ संशोधन कर व अनुच्छेद 15 (5) जोड़कर, शिक्षण संस्थानों में भी पिछड़ा वर्ग को 27% आरक्षण का ऐतिहासिक अधिकार दिया।
साल 1951 में ‘प्रथम संविधान संशोधन’ से सामाजिक न्याय की जो पहल कांग्रेस ने की थी, उसकी बागडोर अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सामाजिक न्याय के पुरोधा राहुल गांधी ने अपने हाथों में ली है। दसौनी ने कहा कि सामाजिक न्याय की इस बुनियाद को और सशक्त बनाने के लिए जातिगत जनगणना जरूरी है। कांग्रेस द्वारा कराई गई 2011 की ‘सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना’ के निष्कर्ष को भी आज तक मोदी सरकार ने प्रकाशित नहीं किया।
इसके ठीक विपरीत, वर्तमान भाजपा सरकार ने एससी/एसटी/ओबीसी के मौजूदा आरक्षण को खत्म करने की लगातार साजिश रची है। एक तरफ सरकारी कंपनियों को बेचा जा रहा है, और सार्वजनिक संपत्तियों का निजीकरण किया जा रहा है, जिससे एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण अपने आप खत्म हो जाए, तो दूसरी ओर सरकार व सरकारी संस्थाओं में 30 लाख के करीब पद खाली पड़े हैं। जब पद भरे ही नहीं जाएंगे,
तो आरक्षण अपने आप खत्म हो जाएगा। सरकारी नौकरियों में कॉन्ट्रैक्ट व आउटसोर्सिंग का खेल भी आरक्षण को खत्म करने का हिस्सा है।
गरिमा ने कहा कि पिछले एक दशक में सत्ताधारी दल ने एससी-एसटी सब प्लान व उसके बजट आवंटन को इकतरफा तरीके से समाप्त कर दिया। यही नहीं, एससी, एसटी तथा ओबीसी आरक्षण पर 50 प्रतिशत की कृत्रिम सीमा निर्धारित कर देना अपने आप में इन वर्गों के साथ न्यायसंगत नहीं है। यहां तक कि ओबीसी, एससी-एसटी वर्गों को प्राईवेट शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के संवैधानिक अधिकार से भी वंचित रखा गया है। यह सत्तासीन भाजपा के एससी, एसटी तथा ओबीसी विरोधी चेहरे को दर्शाता है।
दसौनी ने कहा कि दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों पर हो रहे अमानवीय अत्याचार इसी सत्ताधारी सोच की वजह से लगातार औसतन 13% की दर से बढ़ रहे हैं। अधिकतर ऐसे अपराधों में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं की ही भूमिका सामने आई है।
दसौनी ने बताया कि कांग्रेस द्वारा बनाए गए कानून, जैसे पेसा (PESA) 1996, वन अधिकार अधिनियम 2006, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है। संविधान में आदिवासियों को अधिकार देने वाले 5वें और 6वें शेड्यूल को भी कमजोर किया जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि हम केन्द्रीय कानून बनाकर एससी-एसटी सब-प्लान को कानूनी आकार देंगे तथा इन वर्गों की जनसंख्या के आधार पर बजट में हिस्सेदारी देंगे। हम एससी, एसटी व ओबीसी वर्गों के आरक्षण के लिए कृत्रिम तौर से निर्धारित की गई 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने के लिए कटिबद्ध हैं ताकि उन्हें सामाजिक न्याय का पूरा लाभ मिल सके। कांग्रेस पार्टी संकल्पित है कि संविधान के अनुच्छेद 15 (5) में निर्धारित एससी, एसटी, ओबीसी के निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के अधिकार को लागू करवाएंगे।गरिमा ने कहा कि समाज के इन वंचित व शोषित वर्गों के कल्याण का हमारा कांग्रेस का संकल्प अटूट है- कल भी, आज भी और कल भी रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *